जिंदगी खुली आखों का एक सपना
और मौत एक अनकही सच्चाई
जिंदगी कभी न ख़त्म होनेवाला एक मुकदमा
और मौत उसकी आखरी सुनवाई
Suri
Sometime between 1997-99
अभी !!
थोडा जुका हु , अभी मैं हारा नहीं
थोडासा रुका हूँ , पर अभी मैं थमा नहीं
थोडा ओज़ल हु , पर अभी मैं मिटा नहीं
थोडासा दूर ही सही, पर अभी मैं तुमसे जुदा नहीं
आखोमें थोड़े आसू है, पर अभी मैं रोया नहीं
नींद शायद खुली है , पर सपना अभी मैंने खोया नहीं
दिल मैं थोडा दर्द है पर अभी दिल टुटा नहीं
मौत का वक़्त शायद नजदीक है , पर जिंदगी को मैंने अभी ठीक से समेटा नहीं
सुरेन्द्र
Feb 2012
पिछले कुछ दिनों के भारत के ठन्डे मौसम मैं एक आशिक दिल क्या कहता होगा ये हास्यकविता के माध्यम से कहेने की चेष्टा !!
बोहोत दिनों से हमारी कविता मैं छंद है,
पर क्या करे तुम्हारे दिल का दरवाजा बंद जो है !
आखिर काम आएगी हमारे दिल की गर्मी ,
आजकल तुम्हारे एरिया मैं ठण्ड जो है !
सुरेन्द्र
जनवरी २०१३
A different and poetic take on Ramayan on the background of recent events in Delhi. A hindi poem which tries to analyse the social causes behind the Delhi Rape Incidence. The poem uses ‘Ramayan’ as a context to draw parallels with today’s societal scenario.
Title – सारी गलती राम की है !!
सारी गलती राम की है, जिसने सीता आग पे चलवाई
आगे पीछे कुछ सोचा नहीं और गलत रित करवा दी
थोड़ी गलती सीता की भी है, जिसने राम की सब सुन ली
आदर्श नारी की एक अजीब परिभाषा उसने तब से ही बना दी
गलती उस धोबी की भी है, जिसने एक स्त्री की मर्यादा पर सवाल उठाया
और थोड़ी गलती उस राजा की भी है, जो राजा हो कर भी कुछ बोल नहीं पाया
रामायण हम सब ने पढ़ा , पर शायदही हम ने ये कभी सोचा
के राम अगर सीता को आग्निपरिक्षा न करवाता तो क्या होता …
सुरेन्द्र
Jan 2013
वो कहेते है के तुम नहीं हो इसलिए मैं कवी हु
उन्हें क्या बताऊ के तुम्हारे बिना मैं सिर्फ अपनी एक छवि हु
सुरेन्द्र
Jan 2013
4 lines for times when we are not sure where life is taking us
खुदा क्या चाहता है, ये शायद साला वो खुद भी नहीं जानता
और दुनिया माने या न माने , मैं उसे नहीं मानता
सुरेन्द्र
दिसम्बर २०१२
This is a poetic tribute to Sachin Tendulkar and a generation that loved him
एक जमान था जब हम २ सवाल पूछा करते थे
एक ‘स्कोर क्या हुआ है’ और दूसरा ‘तेंदुलकर है’ ?
आज तेंदुलकर नहीं तो पहला सवाल पूछने का मन ही नहीं करता
और इंडिया कितने भी रन बना ले , आजकल हमारा दिल नहीं भरता !!
तुम क्या जानो के तेंदुलकर हमारे लिए क्या था
हमेशा की डूबती हुई नय्या का वो एक ही तो सहारा था…
तेंदुलकर हमारा ख्वाब और हमारी सच्चाई भी था
और क्या बताऊ तुम्हे वो हमारे दर्द की वजह और हमारी ख़ुशी का इन्तेजाम था!!
तेंदुलकर के रिटायर होने पे तुम खुश हो सकते हो
तुम्हारे पास द्रविड़, गांगुली, लक्ष्मण, धोनी, युवराज, रैना जो थे…
पर हमे माफ़ करना, हम गम छुपा नहीं सकते
क्यों की आज की दुनिया मैं अब और तेंदुलकर नहीं बनते !!
तुम क्या जानो के तेंदुलकर हमारे लिए क्या था
वो हमारे सब सवाल और सब सवालों का जवाब था…
सच कहेता हु यारों दुनिया के हजारों Goliath थो के लिए
हमारे पास हमेशा वो सिर्फ एक ही तो davidथा!!
सुरेन्द्र
दिसम्बर २०१२
न मैं आपको तब जानता था, न मैं आपको अब जानता हु
पर इस बीच जो गुजरा , वो एक हसीं सपना था ये जरुर मानता हु
आप बिछड़े कुछ इस तरह के अब लगता है के काश आप मिले ही न होते
बोहोत सारी खुशियों के बाद हमारी जिंदगी मैं ये आसूं तो न होते..
आपकी आखों में नफरत देखकर हुआ है आज ये एहसास,
शायद मेरे दोस्त, तुजे हमेशा से ही थी और किसी की तलाश..
मिलेंगे जिंदगी में कभी तो बस इतना रखना याद
भले २ पल के लिए ही सही , हमारा आपका रहा साथ
सुरेन्द्र फाटक
मार्च २००४