पाउस पडून गेल्यावर

पाउस पडून गेल्यावर

पाउस पडून गेल्यावर

पाउस पडून गेल्यावर कधीकधी पाणी उगाचच साचून जातं
अश्रू वाहून गेले तरी बर्याचदा दुख: मनात तसच साठून रहात !!

Suri
Feb 2013

अभी !!

अभी !!

alone...

थोडा जुका हु , अभी मैं हारा नहीं
थोडासा रुका हूँ , पर अभी मैं थमा नहीं

थोडा ओज़ल हु , पर अभी मैं मिटा नहीं
थोडासा दूर ही सही, पर अभी मैं तुमसे जुदा नहीं

आखोमें थोड़े आसू है, पर अभी मैं रोया नहीं
नींद शायद खुली है , पर सपना अभी मैंने खोया नहीं

दिल मैं थोडा दर्द है पर अभी दिल टुटा नहीं
मौत का वक़्त शायद नजदीक है , पर जिंदगी को मैंने अभी ठीक से समेटा नहीं

सुरेन्द्र
Feb 2012

लहानपणची तहान

4 lines about how we lose the innocence of childhood as we grow old
लहानपणची तहान, मोठेपणी हरपून जाते
आणि महान बनता बनता सारी निरागसता करपून जाते
खळखळती नदी कुठेतरी गोठून जाते
आणि खंत फ़क़्त तेवढी मनात साठून राहते
Surendra Phatak

पाउस आणि बर्फ

Snow fallपाउस पडल्याचा आवाज येतो, बर्फ पडल्याचा येत नाही!!
भावना एकदा गोठून गेल्या कि संवाद तिथे होत नाही!!

सुरेंद्र
जानेवारी २०१२

तुम नहीं हो इसलिए !!

 

वो कहेते है के तुम नहीं हो इसलिए मैं कवी हु
उन्हें क्या बताऊ के तुम्हारे बिना मैं सिर्फ अपनी एक छवि हु

सुरेन्द्र
Jan 2013

तुम क्या जानो के तेंदुलकर हमारे लिए क्या था !!

This is a poetic tribute to Sachin Tendulkar and a generation that loved him

एक जमान था जब हम २ सवाल पूछा करते थे

एक ‘स्कोर क्या हुआ है’ और दूसरा ‘तेंदुलकर है’ ?

आज तेंदुलकर नहीं तो पहला सवाल पूछने का मन ही नहीं करता

और इंडिया कितने भी रन बना ले , आजकल हमारा दिल नहीं भरता !!

तुम क्या जानो के तेंदुलकर हमारे लिए क्या था

हमेशा की डूबती हुई नय्या का वो एक ही तो सहारा था…

तेंदुलकर हमारा ख्वाब और हमारी सच्चाई भी था

और क्या बताऊ तुम्हे वो हमारे दर्द की वजह और हमारी ख़ुशी का इन्तेजाम था!!

तेंदुलकर के रिटायर होने पे तुम खुश हो सकते हो

तुम्हारे पास द्रविड़, गांगुली, लक्ष्मण, धोनी, युवराज, रैना जो थे…

पर हमे माफ़ करना, हम गम छुपा नहीं सकते

क्यों की आज की दुनिया मैं अब और तेंदुलकर नहीं बनते !!

तुम क्या जानो के तेंदुलकर हमारे लिए क्या था

वो हमारे सब सवाल और सब सवालों का जवाब था…

सच कहेता हु यारों दुनिया के हजारों Goliath थो के लिए

हमारे पास हमेशा वो सिर्फ एक ही तो davidथा!!

सुरेन्द्र

दिसम्बर २०१२

न मैं आपको तब जानता था !!

न मैं आपको तब जानता था, न मैं आपको अब जानता हु
पर इस बीच जो गुजरा , वो एक हसीं सपना था ये जरुर मानता हु

आप बिछड़े कुछ इस तरह के अब लगता है के काश आप मिले ही न होते
बोहोत सारी खुशियों के बाद हमारी जिंदगी मैं ये आसूं तो न होते..

आपकी आखों में नफरत देखकर हुआ है आज ये एहसास,
शायद मेरे दोस्त, तुजे हमेशा से ही थी और किसी की तलाश..

मिलेंगे जिंदगी में कभी तो बस इतना रखना याद
भले २ पल के लिए ही सही , हमारा आपका रहा साथ

सुरेन्द्र फाटक
मार्च २००४