न मैं आपको तब जानता था, न मैं आपको अब जानता हु
पर इस बीच जो गुजरा , वो एक हसीं सपना था ये जरुर मानता हु
आप बिछड़े कुछ इस तरह के अब लगता है के काश आप मिले ही न होते
बोहोत सारी खुशियों के बाद हमारी जिंदगी मैं ये आसूं तो न होते..
आपकी आखों में नफरत देखकर हुआ है आज ये एहसास,
शायद मेरे दोस्त, तुजे हमेशा से ही थी और किसी की तलाश..
मिलेंगे जिंदगी में कभी तो बस इतना रखना याद
भले २ पल के लिए ही सही , हमारा आपका रहा साथ
सुरेन्द्र फाटक
मार्च २००४